सब से लम्बी उम्र का कछवा
उम्र का कछवा कोलकता के चिड़ियाघर में था। इस कछवे की गुज़श्ता दिनों 250 बरस की उम्र में मौत हो गई।बताया जाता है कि ये कछवा एक अंग्रेज़ फ़ौजी अफ़सरकलाएव लाईव का पालतू कछवा था और इसी के हमराह 18वीं सदी के वस्त में हिंदुस्तान आया था। कोलकता चिड़ियाघर के मुक़ामी हुक्काम का दावयाआ है कि ये कछवा दुनिया का सबसे लंबी उम्र का कछवा था लेकिन उनके पास अपने दावे के सबूत के तौर पर पेश करने के लिए कोई दस्तावेज़ी सबूत नहीं है।
चिड़ियाघर के क़दीम रिकार्ड के मुताबिक़ ईस्ट इंडिया कंपनी के बर्तानवी जनरल रोबर्ट कलाएव के पास इस कछवे ने कई साल गुज़ारे थे और वहीं से ये कछवा चिड़ियाघर लाया गया था।
अली पूर चिड़ियाघर के मुलाज़मीन को इस कछवे से बड़ी उंसीयत थी।चिड़ियाघर घूमने जानेवाले बच्चे भी सर मई रंग की मोटी खाल वाले इस कछवे को देखकर ख़ूब लुतफ़ उठाते। छोटे बच्चों के लिए इस कछवे के जिस्म में इस का सर तलाश करना बेहतरीन मशग़लाहोता था।बताया जाता है कि इस कछवे की मौत उस का लीवर ख़राब होजाने की वजह से हुई।
रेकॉर्डों के मुताबिक़ ये कछवा1875में अली पूर चिड़ियाघर लाया गया। इस से क़बल ये बैरकपूर एरिया में था।चिड़ियाघर में ऐसी तस्वीरें मौजूद हैं जिसमें ब्रितानी मल्लाहों को ये कछवा जनरल कल्ला यू को पेश करते हुए दिखाया गया है।इन मल्लाहों ने इस कछवे को जज़ीरासिसली से पकड़ा था। इस कछवे का नाम अद्वितीय था बंगला में अद्वितीय कि मअनी हैं अछूता। जिसका कोई हम-सर ना हो। और अपनी उम्र के लिहाज़ से ये कछवा इकलौता ही था। किसी कछवे की औसत उम्र 240-250बरस होती है अदवीतीह अपनी उम्र की 250बहारें देख चुका था । ये अंग्रेज़ों के हिंदुस्तान आने और हिंदुस्तान से जाने दोनों को ऐनी शाहिद था। इतनी तवील उम्र के इस नायाब कछवे की मौत का जहां चिड़ियाघर के हुक्काम को दुख है वहीं कोलकता के चिड़ियाघर घूमने जाने वालों को भी चिड़ियाघर के सबसे क़दीम जानवर के ना रहने का अफ़सोस है।
जज़ीरा सिसली में पाए जानेवाले कुछोओं का औसत वज़न 120किलोग्राम होता है और ये लग भग बरसों तक ज़िंदा रहते हैं।
चिड़ियाघर के क़दीम रिकार्ड के मुताबिक़ ईस्ट इंडिया कंपनी के बर्तानवी जनरल रोबर्ट कलाएव के पास इस कछवे ने कई साल गुज़ारे थे और वहीं से ये कछवा चिड़ियाघर लाया गया था।
अली पूर चिड़ियाघर के मुलाज़मीन को इस कछवे से बड़ी उंसीयत थी।चिड़ियाघर घूमने जानेवाले बच्चे भी सर मई रंग की मोटी खाल वाले इस कछवे को देखकर ख़ूब लुतफ़ उठाते। छोटे बच्चों के लिए इस कछवे के जिस्म में इस का सर तलाश करना बेहतरीन मशग़लाहोता था।बताया जाता है कि इस कछवे की मौत उस का लीवर ख़राब होजाने की वजह से हुई।
रेकॉर्डों के मुताबिक़ ये कछवा1875में अली पूर चिड़ियाघर लाया गया। इस से क़बल ये बैरकपूर एरिया में था।चिड़ियाघर में ऐसी तस्वीरें मौजूद हैं जिसमें ब्रितानी मल्लाहों को ये कछवा जनरल कल्ला यू को पेश करते हुए दिखाया गया है।इन मल्लाहों ने इस कछवे को जज़ीरासिसली से पकड़ा था। इस कछवे का नाम अद्वितीय था बंगला में अद्वितीय कि मअनी हैं अछूता। जिसका कोई हम-सर ना हो। और अपनी उम्र के लिहाज़ से ये कछवा इकलौता ही था। किसी कछवे की औसत उम्र 240-250बरस होती है अदवीतीह अपनी उम्र की 250बहारें देख चुका था । ये अंग्रेज़ों के हिंदुस्तान आने और हिंदुस्तान से जाने दोनों को ऐनी शाहिद था। इतनी तवील उम्र के इस नायाब कछवे की मौत का जहां चिड़ियाघर के हुक्काम को दुख है वहीं कोलकता के चिड़ियाघर घूमने जाने वालों को भी चिड़ियाघर के सबसे क़दीम जानवर के ना रहने का अफ़सोस है।
जज़ीरा सिसली में पाए जानेवाले कुछोओं का औसत वज़न 120किलोग्राम होता है और ये लग भग बरसों तक ज़िंदा रहते हैं।
سب سے لمبی عمر کا کچھوا
بچوں
! کیا تم جانتے ہو جانوروں میں سب سے لمبی عمر کچھووں کی ہوتی ہے۔ ہندوستان میں اس
وقت سب سے لمبی
عمر کا کچھوا کولکتہ کے چڑیا گھر میں تھا۔ اس کچھوے کی گزشتہ دنوں
250 برس کی عمر میں موت ہوگئی۔بتایا جاتا ہے کہ یہ کچھوا ایک انگریز فوجی افسرکلایو
لائیو کا پالتو کچھوا تھا اور اسی کے ہمراہ 18ویں صدی کے وسط میںہندستان آیا تھا۔ کولکتہ
چڑیا گھر کے مقامی حکام کا دعویٰٰ ہے کہ یہ کچھوا دنیا کا سب سے لمبی عمر کا کچھوا
تھا لیکن ان کے پا س اپنے دعوے کے ثبوت کے طور پر پیش کرنے کے لئے کوئی دستا ویزی ثبوت
نہیں ہے۔
چڑیا
گھر کے قدیم ریکارڈ کے مطابق ایسٹ انڈیا کمپنی کے بر طانوی جنرل روبرٹ کلایو کے پاس
اس کچھوے نے کئی سال گزارے تھے اور وہیں سے یہ کچھوا چڑیا گھر لایا گیا تھا۔
علی
پور چڑیا گھر کے ملازمین کو اس کچھوے سے بڑی انسیت تھی۔چڑیا گھر گھومنے جانے والے بچے
بھی سر مئی رنگ کی موٹی کھال والے اس کچھوے کو دیکھ کر خوب لطف اٹھاتے۔ چھوٹے بچوں
کے لئے اس کچھوے کے جسم میں اس کا سر تلاش کرنا بہترین مشغلہ ہوتا تھا۔بتایا جاتا ہے
کہ اس کچھوے کی موت اس کا لیور خراب ہوجانے کی وجہ سے ہوئی۔
ریکارڈوں
کے مطابق یہ کچھوا1875ءمیں علی پور چڑیا گھر لایا گیا۔ اس سے قبل یہ بیرک پور ایریا
میں تھا۔چڑیا گھر میں ایسی تصویریں موجو د ہیں جس میں برطانی ملاحوں کو یہ کچھوا جنرل
کلا یو کو پیش کرتے ہوئے دکھایا گیا ہے۔ان ملاحوں نے اس کچھوے کو جزیرہ سسلی سے پکڑا
تھا۔ اس کچھوے کا نام ادوتیہ تھا بنگلہ میں ادوتیہ کہ معنی ہیں اچھوتا۔ جس کا کوئی
ہمسر نہ ہو۔ اور اپنی عمر کے لحاظ سے یہ کچھوا اکلوتا ہی تھا۔ کسی کچھوے کی اوسط عمر
240-250برس ہوتی ہے ادویتیہ اپنی عمر کی 250بہاریں دیکھ چکا تھا ۔ یہ انگریزوں کے ہندستان
آنے اور ہندستان سے جانے دونوں کو عینی شاہد تھا۔ اتنی طویل عمر کے اس نایاب کچھوے
کی موت کا جہاں چڑیا گھر کے حکام کو دکھ ہے وہیں کولکتہ کے چڑیا گھر گھومنے جانے والوں
کو بھی چڑیا گھر کے سب سے قدیم جانور کے نہ رہنے کا افسوس ہے۔
جزیرہ
سسلی میں پائے جانے والے کچھووں کا اوسط وزن 120کیلو گرام ہوتا ہے اور یہ لگ بھگ
100 برسوں تک زندہ رہتے ہیں۔
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