प्यारा जूजू
अक़्सा उस्मानी
एक दिन छोटा हाथी अपने दोस्तो के साथ जंगल मे खेल रहा था।
खेलते खेलते जु जु को पानी बहने की आवाज़ आई। वह इस आवाज़ के पीछे जाने लगा। कुछ समय बाद उस ने देखा कि वह एक बहुत ही खूबसूरत झरने के बीच खड़ा है और झरने के पास बहुत सारी परियाँ खेल रही हैं।
वह भी उनके साथ खेलने लगा। बहुत देर बाद उसे याद आया कि उसकी माँ उसका इंतेज़ार कर रही होंगी।
वह अपने घर के लिए निकला जब वो वापस पंहुचा तो वहाँ कुछ नही था।
वो बहुत डर गया और उसे अपने घर का रास्ता भी नही पता था वो चलते चलते थक गया और एक पेड़ के नीचे बैठ गया
उसे नींद आ गई। जब उसकी आंखें खुली तो उसने देखा शाम हो रही थी। वह फिर चलने लगा वह एक ऐसी जगह पहुंचा जहाँ बहुत सारे फूल थे और तितलियाँ भी थी वो वहाँ उन तितलियों के पीछे भाग रहा था और हँस रहा था।
वह बहुत खुश था भागते भागते वो थक गया था। वह वहीं बैठ गया। थोड़ी देर बाद बारिश होने लगी। वह एक पेड़ के नीचे बैठ कर यह नज़ारा देखने लगा कि कैसे एक बारिश की बूंद फूलों की पत्तियों पर गिरती है तो ऐसा लगता है कि पत्तों पर मोती हो यह देखते देखते वह भूल गया के उसे घर जाना है।
थोड़ी देर बाद वह उठा और चलने लगा। उसे रास्ते में एक दूसरा हाथी मिला जिसका नाम जॉनी था। वह बहुत प्यारा था। जुजु उसके साथ खेलने लगा। खेलते खेलते उसे याद आया कि उसकी माँ परेशान हो रही होगी। वो फिर रोने लगा उसे लगा अब वह अपनी माँ से कभी नहीं मिल पाए गा। अचानक उसे पीछे से आवाज़ आई "जुजु " उसने पीछे मुड़ कर देखा उसकी माँ खड़ी थी वह उसे ढूंढ रही थी वो रोते रोते चिलाया " माँ ! मैं यहां हूँ " वह दौड़ कर अपनी माँ के पास गया। उसकी माँ ने कहा चलो घर चले। वह लोग घर आगए। उसने फैसला क्या की अब वह अपनी माँ को छोड़ कर कहीं नहीं जाये गा।
(Story & Illustration: Aqsa Usmani)
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